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याकूब नहीं बचा पाया अमृत को !

कोरोना वायरस और लकडाउन अपने साथ साथ निराशा का दौर लेकर आये है। किसी को पता नहीं ये सब कब रुकेगा बावजूद इसके इंसान जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। बिच बीच में कुछ अच्छी खबरे आती है तो ठीक भी लगता है। भले ही उस खबर का कुछ हिस्सा दुःख में डूबा हो।

पलायन का दौर बदस्तूर जारी है मध्यप्रदेश का शिवपुरी जिला यहाँ एक ट्रक से अलग अलग जगहों के लिए मजदूर घर लौट रहे थे। अमृत नाम का एक मजदुर उम्र 24 वर्ष  ये भी उसी ट्रक में था अपने घर जाना चाहता था, शिवपुरी झाँसी रास्ते में अमृत की तबियत बिगड़ने लगी बुखार चक्कर आ रहे थे। टाइम्स औफ इंडिया के मुताबिक साथ में बैठे मजदूरों ने कोरोना की आशंका जताई और उसे ट्रक से उतरवा दिया उसका साथ छोड़ दिया।

लेकिन एक सख्स ने उसका साथ नहीं छोड़ा उसका दोस्त याकूब मोहम्मद वो भी ट्रक से उतर गया उसका ख्याल रखने के लिए। बेहोशी के हालत में अमृत का सर गोद में रखा पानी पिलाया गाड़िया रोकने की कोशिस की, कुछ लोगो की वजह से अमृत को अस्पताल पहुंचाया गया अमृत की तबियत ज्यादा बिगड़ चुकी थी इलाज के दौरान अमृत की मौत हो गई।

टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के मुताबिक याकूब मोहम्मद ने कहा हम गुजरात के सूरत के फक्ट्री में कपडा बुनने का काम करते थे लकडाउन में फक्ट्री बंद हो गई तो चार चार हजार देकर सूरत से नासिक इंदौर होते हुए कानपुर लौट रहे थे। रास्ते में अमृत की तबियत ख़राब हो गई बुखार आया उल्टी की हालत हुई लेकिन उल्टी हुई नहीं, ट्रक में बैठे पचास साठ लोग विरोध करने लगे की उसे उतरा जाये और फिर ट्रक वाले ने उसे उतर दिया तो अमृत की देखभाल के लिए मै भी उतर गया।

वही जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डाक्टर पी के खरे ने कहा की मृतक अमृत और उसके साथी याकूब मोहम्मद दोनों का कोरोना टेस्ट किया गया है रिपोर्ट अभी नहीं आई है। अमृत का सर गोद में रखे याकूब मोहम्मद की फोटो किसी ने खींच ली जो सोसल मिडिया पर वायरल हो गई।

आप को बता दें संकट की इस घडी में कोरोना वायरस को भी साम्प्रदाइकता से जोड़ दिया गया है। ऐसी तस्वीरें बताती है की कुछ चीजे धर्म मजहब से ऊपर होती है कोरोना का दौर ख़त्म हो जाना चाहिए।

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घर पर रहे सुरक्षित रहें।    

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