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अहमदाबाद सिविल अस्पतालो में 300 कोरोना मरीजों की मौत..

कोरोना वायरस इन्फेक्शन इसमें लोगो को साँस लेने में प्रॉब्लम होती है, इस बीमारी में गंभीर इलाज के लिए वेंटिलेटर बहुत जरुरी है। लेकिन अगर वेंटिलेटर की वजह से ही लोगो की जाने लगे तो आप सोचिये क्या होगा। गुजरात में इसी कारण बवाल मच गया है राज्य की बीजेपी सरकार सवालों की घेरे में है सरकार ने एक प्राइवेट कंपनी की ओर से तैयार किये गए वेंटिलेटर पर काफी भरोसा दिखा दिया।
इमेज सौरसे गूगल 
लेकिन अब सरकार बैकफुट पर आ गई है और अपोजिशन हमला वर है। तो क्या है ये सर मामला आइये जानते है। जानकारी के अनुसार ज्योति सीएनसी नाम की एक कंपनी है राजकोट में, कंपनी का दावा है की इस वेंटिलेटर को मात्र दस दिनों में बनाया गया और नाम रखा गया द्रवण वन दावा है की इसकी लागत मात्र एक लाख है। कम्पनी ने गुजरात सरकार को अप्रैल में एक हजार ध्रवान वन दिए थे, सरकार की और से कहा गया की ये मशीने फ्री में दी गई है।

गुजरात के प्रधान सचिव जयंत रवि ने बताया की राज्य में वैंटिलेटर की कमी थी इसके चलते कंपनी ने मदद की। द्रवण वन को राज्य के कई सरकारी अस्पतालों को भेजा गया। पांच अप्रैल को गुजरात के सीएम विजय रुपानी सिविल अस्पातल गए उन्होंने वहा खुद ध्रवान वन मशीनों का उद्घाटन किया। इस मौके पर कहा था की पूरी  वैंटिलेटर से जूझ रही है ऐसे समय में इस सस्ते वेंटिलेटर के जरिये गुजरात पूरी दुनिया में कोरोना से लड़ने में दुनिया भर में लीडर के तौर में उभरेगा।

इण्डिया टुडे के गोपी मनियर के अनुसार ज्योति सीएनसी के मालिक पराक्रम सिंह और विजय रुपानी दोनों दोस्त है। अहमदाबाद सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट है जेबी मोदी उन्होंने 15 मई को एक पत्र लिखा गुजरात मेडिकल सर्विसेस लिमिटेड को इसमें कहा गया की पचास हाई वेंटिलेटर की जरूरत है। पत्र मिडिया में आने के बाद खलबली मच गई इसके बाद से गुजरात सरकार निशाने पर आगई। 17 मई को अहमदाबाद मिरर ने रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से लिखा के द्रवण वन वेंटिलेटर नहीं है ये मशीन ऐंम्बू बैग है,ऐंम्बू बैग कृतिम रूप से सांस देने में काम आता है।

मिरर ने द्रवण वन को लेकर सीएम रुपानी से संपर्क किया रुपानी के करीबी अफसर ने जवाब दिया। कहा की सीएम ने द्रवण वन को वेंटिलेटर कहा ही नहीं। लेकिन मिरर ने रुपानी का प्रेस नोट जारी कर दिया इसमें साफ लिखा था की रुपानी ने वेंटिलेटर शब्द का ही स्तेमाल किया था।

अब कंपनी ने क्या कहा, इण्डिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार ज्योति सीएनसी के मालिक है उनका कहना है की ये सम्पूर्ण वेंटिलेटर नहीं है इस बारे में राज्य सरकार को भी बता दिया गया था। वेंटिलेटर में कई मोड होते है ये आपात स्थिति के लिए है उनका दावा है की उनकी कंपनी द्रवण थ्री बना रही है जो की सम्पूर्ण वेंटिलेटर है।

कांग्रेस ने सरकार को निशाने पर लिया है मामला सामने आने के बाद सरकार पर निशाना साधा। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा सरकार पर लोगो की जान से खेलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा के सरकार ने हल्क़े दर्जे के वेंटिलेटर खरीदे है आरोप लगाया की इन वेन्टीलेटरो को ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ़ इण्डिया से अनुमति भी नहीं है। चावड़ा ने मामले  न्यायिक जाँच की मांग की है।

अमित चावड़ा ने कहा है की अहमदाबाद सिविल अस्पतालो में 300 कोरोना मरीजों की मौत का द्रवण वन से क्या कनेक्शन है। इसकी जानी चाहिए आप को बता के की गुजरात में अभी तक कोरोना से 550 लोगो की मौत हुई है। इनमे से 350 से ज्यादा मौते सिविल अस्पताल में हुई है। उन्होंने कहा की बीजेपी सरकार को पता था की द्रवण वन से कोरोना मरीजों का इलाज नहीं हो सकता है  लेकिन फिर भी उन्होंने इस मशीनों को अस्पतालों रखा।

गुजरात के लोगो को शक है की इस स्वदेशी वेंटिलेटर के चलते अहमदाबाद सिविल अस्पातलो में 300 से अधिक मरीजों की मौत हो गई है ऐसे में सरकार को जवाब देना चाहिए। कांग्रेस का कहना है की इस बारे में राज्यपाल से भी मुलाकात करेगी।

इसके बाद आरोपों पर सरकार ने दी सफाई प्रधान सचिव जयंत रवि इन आरोपों पर कहा है की द्रवण वन भी बाकि मशीनों की तरह उपयोगी है सरकार से मान्यता प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक एंड क्वालिटी डेवलोपमेन्ट सेंटर्स ने मजूरी दी है। वेंटिलेटर कोई दवा फार्मूला नहीं है इसलिए इसे DCGI से मान्यता की जरुरत नहीं है। उनका कहना है की महाराष्ट्र और पुड्डुचेरी जैसे राज्यों ने भी इन वेंटिलेटर पर रूचि दिखाई है। जानकारी मिली हिअ की केंद्र सरकार ने भी 5000 ध्रवान वन खरीदने का पआर्डर दे दिया है।

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