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Arvind Kejriwal अब खुद हुए बीमार कहा जायेगे इलाज लिए ?

आज बात करेंगे भारत की राजधानी दिल्ली की यहाँ के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 8 जून 2020 को एक वीडियो जारी कर के लोगो को मैसेज दिया। 

इमेज सोर्स गूगल 

क्या मैसेज दिया ? उन्होंने ऐलान किया की जब तक कोरोना क्राइसेस चल रहा है तब तक दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वालों का ही इलाज हो। 

हालाँकि शाम होते होते दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल फैसला पलट दिया। उन्होंने कहा की कोई भी दिल्ली आकर अपना इलाज करवा सकता है, लेकिन इन सब के बीच एक सवाल सबके मन में कौंधा के भाई कोई राज्य ऐसे कैसे किसी को अपने राज्य में इलाज करवाने से रोक सकता है। हमने भी संविधान के कुछ पन्ने पलटे और जाना के राज्य सरकारों के पास ऐसी कौन सी ताकत है, जिससे की वो दूसरे राज्यों के लोगों को इलाज करवाने से रोक सकते है।

आइये जानते है और आप को भी बताते है। भारतीय संविधान में कुल बारह अनुसूचियाँ है, अनुसूची यानि संविधान का वो हिस्सा जसमे उल्लेख है, देश में आने वाले और देश चलाने वाले तमाम सिस्टम की जिम्मेदारियों का, ताकतों का, और अन्य बातो का। इन अनुसूचियों में तमाम अनुच्छेदों को विस्तार से समझाया गया है जैसे की राष्ट्रपति, राज्यपाल, सुप्रीमकोर्ट के कामकाज़, पंचायतीराज, देश के सम्बन्ध भाषाओ की व्याख्या है।

तो फिर अब राज्यों की शक्तिया कौन से अनुसूची में है ? तो इसके लिए हम बात करेंगे संविधान की सातवीं अनुसूची की, इसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियो का बटवारा किया गया है। इस अनुसूची की तीन सूचियां लिस्ट है।

लिस्ट 1- यूनियन लिस्ट, इसमें वो विषय बताए गए है, जिसमे केंद्र की शक्तियां लागू है। जिन पर केंद्र कानून बना सकता है।

लिस्ट 2- स्टेट लिस्ट,इसमें राज्य की शक्तियां बताई गई है। (इनको ध्यान में रखे आगे इन्ही पर बात करेंगे).

लिस्ट 3- कानकरेंट लिस्ट, इसमें वो विषय है जिनपर केंद्र-राज्य आपस में भइया-बाबू करके यानि सहमति से कानून बना सकते है।

अबतक खूब भूमिका बांध ली हमने अब बात करते है मुद्दे की। संविधान के सातवें शेड्यूल के स्टेट लिस्ट का यही आइटम-6 राज्यों को ये शक्ति देता है की वे अपने यहाँ के अस्पतालों को रेगुलेट करने, इन्हे स्तेमाल करने से जुड़े फैसले ले सकें। सवाल उठता है की क्या अस्पतालों को परमानेंट भी रिजर्व किया जा सकता है ?

इस बात को थोड़ा और समझने के लिए, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बताया की स्टेट लिस्ट का आइटम-6 रज्यो को ये शक्ति देता है की वो अस्पतालों को रेगुलेट कर सकें, रिजर्व कर सकें,कुछ समय ये ज्यादा समय के लिए। आगे उन्होंने ने बताया की टेक्निकली पर्मानेंट के लिए भी कर सकते है। हालाँकि पोलिटिकली और सोशली करेक्ट रहने के लिए ऐसा कोई करता नहीं है। As a Indian citizen संविधान भी आप को Right to residence ही देता है। 

इसके उलट एक और राइट (Right ) है. Right to Health यानि भारत के किसी भी राज्य के नागरिक को अपने स्वस्थ के बेहतरी के लिए दूसरे राज्य में जा के इलाज कराने का अधिकार। यही अधिकार था के हरियाणा में पैदा हुए, पश्चिम बंगाल में पढ़े, और बिहार में नौकरी की और यूपी में रहकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविन्द केजरीवाल अपनी खांसी का इलाज करवाने के लिए कर्नाटक जा सके थे।

केजरीवाल ने कुछ दिन पहले कहा था के दिल्ली तो दिलवालों की है। किसी को इलाज के लिए मना करना मुश्किल होगा। दर्यादिली दिखाने का इससे बड़ा मौका शायद ही कोई और होता लेकिन रिसोर्स मैनेजमेंट के नाम पर अस्पतालों के दरवाज़ों पर फ़िल्टर लगा दिए गए, हमारे यहाँ के मरीज़ और बाहर के मरीज़।

ये फैसला आने के दूसरे ही दिन अरविन्द केजरीवाल की तबियत नासाज़ हो गई, सोशल मिडिया पर लोग पूछने लगे अब आप अपना इलाज कहा करवायेंगे दिल्ली में या बाहर। बहेरहाल एलजी ने पूरा फैसला पलट दिया है लेकिन ये पूरा घटना क्रम अपने पीछे एक बड़ी बहस छोड़ गया है।

तुलसी दास जी ने कहा है, की सही परख मुश्किल वक्त में ही होती है। एक राजा के धर्म की सच्ची पहचान भी इसी वक्त होनी है। कोरोना का ये काल सदियों तक याद किया जायेगा और साथ में याद किया जायेगा की किस राज्य के राजा ने अपना धर्म निभाया या दो आखें की।

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